" हे भारतीय युवक,
ज्ञानी विज्ञानी,
मानवता के प्रेमी,
संकीर्ण तुच्छ लक्ष्य की लालसा पाप है।
मेरे सपने बड़े,
मैं मेहनत करूँगा
मेरा देश महान हो
धनवान हो , गुणवान हो
यह प्रेरणा का भाव अमूल्य है,
कंही भी, धरती पर
उससे ऊपर या नीचे
दीप जलाये रखूँगा
जिससे मेरा देश महान हो।"
(सँकलन: अग्नि की उडान ,लेखक : डा. ऐ. पी. जे. कलाम )
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